Saturday, 1 August 2015

महावीर और बुद्ध ने कहा था , mahaveer and buddha says

महावीर और गौतम बुद्ध ऐसे संत हुए , जिन्होंने कहा- सोचो।शंका करो। प्रश्न करो।तब सत्य को पहचानो। जरूरी नहीं है कि वही शाश्वत सत्य है ,जो कभी किसी ने लिख दिया था।

भागवान बुद्ध ने कहा है :- “किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं,किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे लोगो ने कही हैं,किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं,किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसोऔर आप को अच्छा लगे तो ही मानो नहीं तो मत मानो…”

ये संत वैज्ञानिक दृष्टि सम्पन्न थे। और जब तक इन संतो के विचारों का प्रभाव रहा तब तक विज्ञान  की उन्नति भारत में हुई। भौतिक और रासायनिक विज्ञान  की शोध हुई। चिकित्सा विज्ञान की शोध हुई। नागार्जुन हुए , बाणभट्ट हुए।

इसके बाद लगभग डेढ शताब्दी में भारत के बडे से बडे दिमाग ने यही काम किया कि सोचते रहे- ईश्वर एक है या दो है या अनेक है, है तो सूक्ष्म है या स्थूल है। आत्मा क्या है,  परमात्मा क्या है।इसके साथ ही केवल काव्य रचना।
विज्ञान नदारद। गल्ला कम तौलंगे , मगर द्वैतवाद , अद्वैतवाद , मुक्ती और पुनर्जन्म के वारे में बडे परेशान रहेंगे। कपडा कम नापते है , दाम ज्यादा लेगें , पर पंच-आभूषण के बारे में बडे जागृत रहेगें।

झूठे अध्यात्म ने इस देश को दुनिया में तारीफ दिलवायी , पर मनुष्य को मार डाला व हर डाला।