Wednesday, 9 September 2015

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध कौन थे

बौद्ध धर्म  के संस्थापक  महात्मा बुद्ध थे. वे 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक रहे,  बुद्ध के  जन्म और मृत्यु की तिथि को चीनी पंरपरा के कैंटोन अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है।  ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी, दोनों धर्मों  के बाद बौद्ध धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत जैसे देशों में रहते हैं ।  बौद्ध धर्म के बारे में हमें विशद ज्ञान पालि त्रिपिटक  से प्राप्त होता है। 

  1.  बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। 
  2. इन्हें एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है.
  3. गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई. पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी, नेपाल में हुआ था। 
  4.  इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के राजा थे। 
  5. इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
  6. सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी मां मायादेवी का देहांत हो गया था। 
  7.  सिद्धार्थ की सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने उनको पाला।
  8.  सिद्धार्थ का 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। 
  9.  इनके पुत्र का नाम राहुल था। 
  10.  सिद्धार्थ जब कपिलावस्तु की सैर के लिए निकले तो उन्होंने चार दृश्यों को देखे ;
  •  बूढ़ा व्यक्ति 
  •  एक बिमार व्यक्ति 
  •  शव (मरा  हुआ व्यक्ति )
  •  एक सन्यासी  
सांसारिक समस्याओं से दुखी होकर सिद्धार्थ ने 29 साल की आयु में घर छोड़ दिया।  जिसे बौद्ध धर्म में महाभिनिष्कमण कहा जाता है।  गृह त्याग के बाद बुद्ध ने वैशाली के आलारकलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की।  आलारकलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरू  थे।  आलारकलाम के बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रूद्रकरामपुत्त से शिक्षा ली , तत्पश्चात वे भ्रमण पर निकले और  उरूवेला में सिद्धार्थ को कौण्डिन्य, वप्पा, भादिया, महानामा और अस्सागी नाम के 5 साधक मिले। 
बिना अन्न जल ग्रहण किए 6 साल की कठिन तपस्या के बाद 35 साल की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना नदी के किनारे, पीपल के पेड़ के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ । इसके बाद से सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से विख्यात हुए।  जिस जगह उन्हें  ज्ञान प्राप्‍त हुआ उसे बोधगया के नाम से जाना गया।  बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ  में दिया जिसे बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है।  बुद्ध ने अपने उपदेश कोशल, कौशांबी और वैशाली राज्य में पालि भाषा में दिए।  बुद्ध ने अपने सर्वाधिक उपदेश कौशल देश की राजधानी श्रीवस्ती में दिए। 


 बुद्ध की मृत्यु 80 साल की उम्र में कुशीनारा में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गई। जिसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है।  मल्लों ने बेहद सम्मान पूर्वक बुद्ध का अंत्येष्टि संस्कार किया।  एक अनुश्रुति के अनुसार मृत्यु के बाद बुद्ध के शरीर के अवशेषों को आठ भागों में बांटकर उन पर आठ स्तूपों का निर्माण कराया गया। 

 बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया।  जातक कथाएं प्रदर्शित करती हैं कि बोधिसत्व का अवतार मनुष्य रूप में भी हो सकता है और पशुओं के रूप में भी हो सकता है।  बोधिसत्व के रूप में पुनर्जन्मों की दीर्घ श्रृंखला के अंतर्गत बुद्ध ने शाक् मुनि के रूप में अपना अंतिम जन्म प्राप्त किया।  सर्वाधिक बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण गंधार शैली के अंतर्गत किया गया था।  लेकिन बुद्ध की प्रथम मूर्ति मथुरा कला  के अंतर्गत आती है ।


 बुद्ध के अनुयायी दो भागों मे विभाजित हैं। 
  •  भिक्षुक- बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन लोगों ने संयास लिया उन्हें भिक्षुक कहा जाता है। 
  •  उपासक- गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वालों को उपासक कहते हैं. इनकी न्यूनत्तम आयु 15 साल है। 

 इनके प्रमुख अनुयायी शासक थे: 
  • बिंबसार 
  •  प्रसेनजित 
  •  उदयन

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