Tuesday, 27 October 2015

तथागत बुद्धा की कृपा ब्राह्मण पर

एक समय भगवान बुद्ध श्रावस्ती में मिगारमाता के पुष्वाराम मे विहार कर रहे थे ।
 धम्म सीखने और सुनने के लिये मोग्गालन नामक ब्राहमण लेखाकार भी अकसर आता रहता था ।

 एक दिन वह जल्दी आ गया और भगवान को अकेले पाकर बोला कि उसके मन मे अकसर यह प्रशन उठता है कि भगवान के पास जो लोग आते हैं उनमे से कुछ परम ज्ञान को उपलब्ध होते हैं लेकिन कुछ लोग जो नजदीक होते हुये भी इस सुख की प्राप्ति नही कर पाते हैं ।
 तो भगवन , आप जैसा अदभुद शिक्षक और पथपदर्शक होते हुये भी कुछ को निर्वाण सुख प्राप्त होता है और कुछ को नही ? तो भगवन , आप करुणा से ही आप सबको निर्वाण सुख दे कर भवसागर से मुक्ति क्यों नही प्रदान कर देते ।

बुद्ध ने मोग्गालन से पूछा , ” ब्राहमण , मै तुमको इस प्रशन का उत्तर दूगाँ , लेकिन पहले तुमको जैसा लगे इस प्रशन का उत्तर दो । ब्राहमण , “यह बताओ कि क्या तुम राजगृह आने – जाने का मार्ग अच्छी तरह से जानते हो ? ”

मोग्गालन मे कहा , ” गौतम ! मै निशचय ही राजगृह का आने – जाने का मार्ग अच्छी तरह से जानता हूँ । ”

” जब कोई एक आदमी आता है और राजगृह का मार्ग पूछता है लेकिन उसे छोड्कर वह अलग मार्ग पकड लेता है , वह पूर्व की बजाय पशिचम मे चल देता है ।

तब एक दूसरा आदमी आता है और वह भी रास्ता पूछता है और तुम उसे उसे भी ठीक ठाक वैसे ही रास्ता बताते हो जैसा पहले क बता था और वह भी तुम्हारे बताये रास्ते पर चलता है औए सकुशल राजगृह पहुँच जाता है ”
ब्राहमण बोला , ” तो मै क्या करुँ , मेरा काम रास्ता बता देना है । ” 

भगवान बुद्ध बोले , ” तो ब्राहमण , मै भी क्या करुँ , तथागत का काम भी केवल मार्ग बताना होता है । ”

Saturday, 10 October 2015

भगवान बुद्ध का जीवन दुनिया का एक रहस्य

बुद्ध हैं अंतिम सत्य
एस धम्मो सनंतनो !!
अर्थात यही है सनातन धर्म।  

भगवान बुद्ध दुनिया का एक रहस्य हैं। भगवान तो बहुतहुए, लेकिन बुद्ध ने चेतना के जिस शिखर को छुआ है वैसा किसी और ने नहीं। बुद्ध का पूरा जीवन सत्य की खोज और निर्वाण को पा लेने में ही लग गया। उन्होंने मानव मनोविज्ञान और दुख के हर पहलू पर कहा और उसके समाधान बताए।यह रिकॉर्ड है कि बुद्ध ने जितना कहा और जितना समझाया उतना
किसी और ने नहीं। धरती पर अभी तक ऐसा कोई नहीं हुआ जो बुद्ध के बराबर कह गया। सैंकड़ों ग्रंथ है जो उनके प्रवचनों से भरे पड़े हैं और आश्चर्य कि उनमें कहीं भी दोहराव नहीं है। जिसने बुद्ध को पड़ा और समझा वह भीक्षु हुए बगैर बच नहीं सकता।

बुद्ध का रास्ता दुख से निजात पाकर निर्वाण अर्थात शाश्वत आनंद में स्थित हो जाने का रास्ता है। बुद्ध का जन्म किसी
राष्ट्र, धर्म या प्रांत की क्रांति नहीं है बल्कि बुद्ध के जन्म से व्यवस्थित धर्म के मार्ग पर पहली बार कोई वैश्विक क्रांति हुई है। बुद्ध से पहले धर्म, योग और ध्यान सिर्फ दार्शनिकों का विरोधाभाषिक विज्ञान ही था। काशी या कांची में बैठकर लोग माथाफोड़ी करते रहते थे।पश्चिम के बुद्धिजीवी और वैज्ञानिक बुद्ध और योग को पिछले कुछ वर्षों से बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं। चीन, जापान, श्रीलंका और भारत सहित दुनिया के अनेकों बौद्ध राष्ट्रों के बौद्ध मठों में पश्चिमी जगत की तादाद बड़ी है। सभी अब यह जानने लगे हैं कि पश्चिमी धर्मों में जो बाते हैं वे बौद्ध धर्म से ही ली गई है, क्योंकि बौद्ध धर्म ईसा मसीह से 500 साल पूर्व पूरे विश्व में फैल चुका था। दुनिया का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा था जहाँ बौद्ध भिक्षुओं के कदम न पड़े हों। दुनिया भर के हर इलाके से खुदाई में भगवान बुद्ध की प्रतिमा निकलती है। दुनिया की सर्वाधिक प्रतिमाओं का रिकॉर्ड भी बुद्ध के नाम दर्ज है।उन मुल्कों के मस्तिष्क में शांति, बुद्धि और जागरूकता नहीं है जिन्होंने बुद्ध को अपने मुल्क से खदेड़ दिया है, भविष्य में भी कभी नहीं रहेगी। शांति, बुद्धि और जागरूकता के बगैरविश्व का कोई भविष्य नहीं है, इसीलिए विद्वानों द्वारा कहा जाता रहा है

 "बुद्ध ही है दुनिया का भविष्य,वही है अंतिम दार्शनिक सत्य। "

''बौद्ध धर्म को सिर्फ दो शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है- अभ्यास और जागरूकता।''
- दलाई लामा      
  एस धम्मो सनंतनो !!
अर्थात यही है सनातन धर्म।

 बुद्ध का मार्ग ही सच्चे अर्थों में धर्म का मार्ग है। दोनों तरह की अतियों से अलग एकदम स्पष्ट और साफ। जिन्होंने इसे नहीं जाना उन्होंने कुछ नहीं जाना। बुद्ध को महात्मा या स्वामी कहने वाले उन्हें कतई नहीं जानते। बुद्ध सिर्फ बुद्ध जैसे हैं।हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के लिए बुद्ध का होना अर्थात धर्म का होना है। बुद्ध इस भारत की आत्मा हैं। बुद्ध को जानने से भारत भी जाना हुआ माना जाएगा। बुद्ध को जानना अर्थात धर्म को जानना है।

मैत्रेय बुद्ध :

ओशो की एक किताब अनुसार भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं के आग्रह पर उन्हें वचन दिया था कि मैं 'मैत्रेय' से पुन: जन्म लूँगा। तब से अब तक 2500 साल बीत गए। कहा जाता है कि बुद्ध ने इस बीच कई बार जन्म लेने का प्रयास किया, लेकिन कुछ कारण ऐसे बने कि वे जन्म नहीं ले पाए। अंतत: थियोसॉफिकल सोसाइटी ने जे. कृष्णमूर्ति के भीतर उन्हें अवतरित होने के लिए सारे इंतजाम किए थे, लेकिन वह प्रयास भी असफल सिद्ध हुआ। अंतत: ओशो रजनीश ने उन्हें अपने शरीर में अवतरित होने की अनुमति दे दी थी।


बुद्ध दर्शन के मुख्य तत्व : चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटकों का एक भाग है धम्मपद। प्रत्येक व्यक्ति को तथागत बुद्ध के बारे में जानना चाहिए।
रजनीश ओशो