Wednesday, 18 November 2015

विजय दशमी बौद्धों का पवित्र त्यौहार है, vijayadasmi is thae holy festival of buddhists

विजय दशमी बौद्धों का पवित्र त्यौहार है।

ऐतिहासिक सत्यता है कि महाराजा अशोक ने
कलिंग युद्ध के बाद हिंसा का मार्ग त्याग कर बौद्ध
धम्म अपनाने की घोषणा कर दी थी। बौद्ध बन जाने
पर वह बौद्ध स्थलों की यात्राओं पर गए। तथागत
गौतम बुद्ध के जीवन को चरितार्थ करने तथा अपने
जीवन को कृतार्थ करने के निमित्त हजारों स्तूपों
,शिलालेखों व धम्म स्तम्भों का निर्माण कराया।
सम्राट अशोक के इस धार्मिक परिवर्तन से खुश होकर
देश की जनता ने उन सभी स्मारकों को सजाया
संवारा तथा उस पर दीपोत्सव किया। यह आयोजन
हर्षोलास के साथ १० दिनों तक चलता रहा, दसवें दिन
महाराजा ने राजपरिवार के साथ पूज्य भंते
मोग्गिलिपुत्त तिष्य से धम्म दीक्षा ग्रहण की। धम्म
दीक्षा के उपरांत महाराजा ने प्रतिज्ञा की, कि
आज के बाद मैं शास्त्रों से नहीं बल्कि शांति और
अहिंसा से प्राणी मात्र के दिलों पर विजय प्राप्त
करूँगा। इसीलिए सम्पूर्ण बौद्ध जगत इसे अशोक विजय
दशमी के रूप में मनाता है।
इसे  राम और रावण कि विजय के विजय के रूप में भी मनाया जाता  है।

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