Wednesday, 16 December 2015

सूर्यवंशी क्षत्रिय चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

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"सूर्यवंशी क्षत्रिय चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य" के जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
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विज्ञात पिता के विख्यात पुत्र चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म लगभग 345 ईसा पूर्व उत्तरविहारट्टकथायं के अनुसार वैशाख,कृष्णपक्ष अष्टमी को हुआ था। प्राचीन पालि साहित्य ग्रन्थों के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य के पूर्वज हिमालय की तराई में स्थित पिप्पलियवन के मोरिय गणराज्य में भगवान बुद्ध के समय शासन करते थे।भारत की सबसे प्राचीन भाषा पालि की इन गाथाओ में चन्द्रगुप्त मौर्य का परिचय इस प्रकार है।

आदिच्चा नाम गोतेन, सकिया नाम जातिया।
मोरियान खतियानं वसंजातं सिरिधरं।
चन्दगुप्तो ति पञ्ञातं,विण्हुगुप्तोति भतुकाततो।।
(उत्तरविहारट्टकथायं-थेरमहिंद)


इसका हिंदी अर्थ यह है -\
 आदित्य-गोत्र, शाक्य-जाति,मौर्यवशं के क्षत्रियों में प्रज्ञा सम्पन्न श्रीमान चन्द्रगुप्त राजा हुए और उनके भाई विष्णुगुप्त।

आधुनिक खोजो से ज्ञात होता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता राजा चन्द्रवर्द्धन (340 ई0पू0) 34 वर्ष की अवस्था में मगध के विस्तारवादी सीमा सम्बन्धी युद्ध करते हुए मारे गये थे । इस घटना के बाद चन्द्रगुप्त मौर्य की माँ धम्ममोरिया देवी, अपने पुत्र के साथ पाटलिपुत्र (पुष्पपुर) आ गयी और अपने राजवंश को गुप्त रखने के लिए संभवतः मयुर पालको के रूप में अज्ञातवास का जीवन व्यतीत करने लगी । यही चन्द्रगुप्त का शैसो काल मयूर पालको,शिकारीयों तथा ग्वालों के मध्य व्यतीत हुआ। इस प्रकार राजा चन्द्र व रानी मोरिया देवी के पुत्र को गुप्त रखने से उनका नाम चन्द्रगुप्त मौर्य ही पड़ गया। यही कारण है कि कुछ इतिहासकारों को भ्रमवश लगता है कि चन्द्रगुप्त निम्न कुल के है। बड़ा होने पर उन्होने मगध की सेना में नौकरी कर ली और अपनी योग्यता के बल पर सेनापति के पद तक जा पहुचे। 326 ईसा पूर्व में सिकन्दर की सेनाए पजाब के विभिन्न राज्यों में विध्वंशक युद्ध में व्यस्त थी। मध्य प्रदेश व विहार में नन्द वश का राजा घननन्द राज्य कर रहा था। सिकन्दर के आक्रमण से देश के लिए संकट पैदा हो गया था। मगध की जनता घनान्द के अत्याचारों से पीड़ित थी । असहाय कर भार के कारण राज्य के लोग उससे असन्तुष्ठ थे।  देश को इस समय एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी, जो मगध सामाज्य की रक्षा तथा वृद्धि कर विदेशी आक्रमण के सकट को दूर करे उस महान व्यक्ति का नाम था-
   
    ---राजकुमार चद्रगुप्त मौर्य---

Saturday, 12 December 2015

बुद्ध का जन्म ओक्कक किस वंश में हुआ था

पाली ग्रन्थ महावंश के अनुसार- गौतम बुद्ध का जन्म ओक्कक वंश में हुआ था। इतिहासकार इसी ओक्कक का हिंदी में अनुवाद इक्ष्वाकु के नाम से करते है।


  1. ओक्कक
  2. ओक्कामुख
  3. शिविसामज्य
  4. सिंहस्र
  5. जयसेन
  6. सिंह्हनु
  7. शुद्धोदन
  8. सिद्धार्थ
  9. राहुलवंशावली  
                                        से स्पष्ट है ही कि गौतम बुद्ध ओक्कक(इक्ष्वाकु) वंश की आठवीं पीढ़ी में पैदा हुए थे। शाक्य गणराज के कुछ शाक्य भारत के वर्तमान गोरखपुर के पास पिप्लीवन में आकर बस गए थे।

 पिप्लीवन में बहुत अधिक मोर होने के कारण इस क्षेत्र को लोग मोरिय बोलने लगे।
 बाद में यही स्थान मोरिय गणराज्य बना और मोरिय गणराज्य के शाक्य वंशी मौर्य कहलाने लगे। 
ओक्कक वंशियो का एक गणराज्य कोलिय गणराज्य भी था ।
इस गणराज्य के निवासी कोलिय कहलाते थे । इन कोलियों में कुछ शाक्य और मौर्य भी सम्मिलित थे। 
ओक्कक वंशियो का एक मालव गणराज्य भी था जिसके निवासी मालव कहलाते थे।
भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र से आक्रमण होता रहता था, इसलिए मौर्य सम्राटो ने अपने शूरवीर सैनिको को उत्तर पश्चिम क्षेत्र में बसाया था। ये सैनिक शाक्य, मौर्य, कोलिय, मालव आदि अनेक जनसमूह के थे।
 जाति व्यवस्था मौर्य शासनकाल के बाद आई है। 

Friday, 4 December 2015

नेपाल ने किया भारत को शर्मसार

नेपाल ने  बुद्धा एयरलाइंस

           शुरू कर फिर किया भारत को शर्मसार

                          जिस भारत  देश को विश्व में बुद्ध के देश से जाना जाता है वहाँ बुद्ध का  हाल बेहाल है । यह और कुछ नही भारत में संघी साजिस का नतीजा है ।

                 संसार के सबसे कम बौद्ध पर्यटक भारत में आते है ।जबकि बुद्ध का कार्यक्षेत्र भारत ही रहा है , इसका कारण भारत में बुद्ध की उपेक्षा है ।  नेपाल/ जापान/ चीन /थाईलैंड /बर्मा/ वियतनाम/ श्रीलंका में भारत से कही  जादा  बौद्ध पर्टयक आते है ।

       अब तो नेपाल ने बुद्ध को भी भारत से  छीन लिया है । यह भारत के लिए शर्मनाक कृत्य है ।

                     नेपाल को बुद्धा एयरलाइंस शुरू करने पर और बुद्ध के नाम /फोटो वाले रूपये और सिक्के चलने पर  बहुत बहुत साधुवाद ।