Sunday, 31 January 2016

जापान के बारे में रोचक तथ्य, about japan in hindi

बुद्धा को मानने वाला देश जापान लगभग 6800 द्वीपो से मिलकर बना है इस देश का नाम कुछ भी नया करने में सबसे आगे रहता है यहां के लोग कितने मेहनती है इस बात का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका जैसे देशो ने जोर लगा लिया था लेकिन जापान पीछे हटने को तैयार नही हुआ। आज हम जापान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएंगे जो शायद आप न जानते हो।

1. जापान में हर साल लगभग 1500 भुकंम्प आते है मतलब कि हर दिन चार.

2. मुसलमानों को “नागरिकता” न देने वाला जापान अकेला राष्ट्र है। यहाँ तक कि मुसलमानों को जापान में किराए पर मकान भी नहीं मिलता।

3. जापान,के किसी विश्वविद्यालय में अरबी या अन्य कोई इस्लामी भाषा नहीं सिखाई जाती।

4. कुत्ता पालने वाला प्रत्येक जापानी नागरिक उसे घुमाते समय अपने साथ एक विशेष बैग रखता है, जिसमें वह उसका मल एकत्रित कर लेता है।

5. जापान में 10 साल की उम्र होने तक बच्चों को कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती।

6. जापान में बच्चे और अध्यापक एक साथ मिलकर Classroom को साफ करते है।

7. जापान के लोगो की औसत आयु दुनिया में सबसे ज्यादा है.(82 साल). जापान में 100 साल से ज्यादा उम्र के 50,000 लोग है।

8. जापान के पास किसी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन नहीं है और वे प्रतिवर्ष सैंकड़ों भूकंप भी झेलते हैं, किन्तु उसके बाद भी जापान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है।

9. “Sumo” जापान की सबसे लोकप्रिय खेल है. इसके इलावा बेसबाल भी काफी लोकप्रिय है.

10. जापान में सबसे ज्यादा लोग पढ़े लिखे है . जहां साक्षरता दर 100% है. जहां अखबारों और न्युज चैनलों में भारत की तरह दुर्घटना, राजनीति, वाद-विवाद, फिल्मी मसालो आदि पर खबरे नही छपती. यहां पर अखबारों में आधुनिक जानकारी और आवश्क खबरें ही छपती है.

11. जापान में जो किताबें प्रकाशित होती हैं उन में से 20% Comic Books होती हैं.

12. जापान में 1 जनवरी को नववर्ष का स्वागत मंदिर में 108 घंटियाँ बजा कर किया जाता है।

13. जापानी समय के बहुत पक्के है यहां तो ट्रेने भी ज्यादा से ज्यादा 18 सैकेंड लेट होती है।

14. “Vending Machine” वह मशीन होती है जिसमें सिक्का डालने से कोई चीज आदि निकल आती है जेसे कि noodles, अंडे, केले आदि. जब आप जापान में होगे तो इन मशीनों को हर जगह पाएँगे. यह हर सड़क पर होती है. जापान में लगभग 55 लाख वेंडिंग मशीन है।

15. 2015 तक जापान में देर रात तक नाचना मना था।

16. जापान में एक ऐसी बिल्डिंग भी है जिसके बीच से हाइवे गुजरता है।

17. जापान चारों और से समुंदर से घिरा होने के बावजूद भी 27 प्रतीशत मछलियां दूसरे देशों से मंगवाता है.

18. काली बिल्ली को जापान में भाग्यशाली माना जाता है।

19. जापान में 90% “Mobile WaterProof” है क्योकिं ये लोग नहाते समय भी फोन यूज करते है।

20. जापान में 70 तरह की “fanta” मिलती है।

21. जापान में सबसे ज्यादा सड़के ऐसी है जिनका कोई नाम नही है।

22. जापानियो के पास “Sorry” कहने के 20 से ज्यादा तरीके है।

23. जापान दुनिया का सबसे बड़ा आॅटोमोबाइल निर्माता है।

24. साल 2011 में जापान में जो भूकंप आया था वह आज तक का सबसे तेज भूकंप था। इस भूकंप से पृथ्वी के “घूमने की गति” में 1.8 microseconds की वृद्धि हुई थी।

25. जापान दुनिया का केवल एकलौता देश है जिस पर “परमाणु बमों” का हमला हुआ है. जैसा कि आप जानते ही है कि अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त 1945 में हीरोशिमा और नागाशाकी पर बम फेंके थे. इन बमों को little-boy और Fat-man नाम दिया गया था.

26. जापान में इस्लाम पंथ नहीं होने के कारण वहाँ स्लीपर सेल नहीं हैं और वहाँ एक भी आतंकी वारदात नहीं हुई है।
              

Friday, 29 January 2016

बौद्ध संगीति क्या है

बौद्ध संगीति का तात्पर्य उस 'संगोष्ठी' या 'सम्मेलन' या 'महासभा' से है, जो तथागत बुद्ध के परिनिर्वाण के अल्प समय के पश्चात से ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ (वाचन) करने आदि के उद्देश्य से सम्बन्धित थी। इन संगीतियों को प्राय: 'धम्म संगीति' (धर्म संगीति) कहा जाता था। संगीति का अर्थ होता है कि 'साथ-साथ गाना'।

  इतिहास में चार बौद्ध संगीतियों का उल्लेख हुआ है-


प्रथम बौद्ध संगीति (483 ई.पू.)
आज राम = आज+रा+म
1. आज-अजातशत्रु (शासनकाल)
2. रा-राजगृह (स्थान)
3. म-महाकश्यप (अध्यक्ष)

 प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन 483 ई.पू. में 'राजगृह' (आधुनिक राजगिरि), बिहार की 'सप्तपर्णि गुफ़ा' में किया गया था। गौतम बुद्ध के निर्वाण प्राप्त करने के कुछ समय बाद ही इस संगीति का आयोजन किया गया था।

इस संगीति में बौद्ध स्थविरों (थेरों) ने भी भाग था।
बुद्ध के प्रमुख शिष्य 'महाकस्यप' (महाकश्यप) ने इसकी अध्यक्षता की।
तथागत बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं को लिपिबद्ध नहीं किया था, इसीलिए संगीति में उनके तीन शिष्यों-'महापण्डित महाकाश्यप', सबसे वयोवृद्ध 'उपालि' तथा सबसे प्रिय शिष्य 'आनन्द' ने उनकी शिक्षाओं का संगायन किया।
इसके पश्चात उनकी ये शिक्षाएँ गुरु-शिष्य परम्परा से मौखिक चलती रहीं, उन्हें लिपिबद्ध बहुत बाद में किया गया। ये बौद्ध काल की प्रथम संगीति हुयी॥

द्वितीय बौद्ध संगीति (383 ई.पू.)
कल वैशाली सब = कल+वैशाली+सब
1. कल-कालाशोक (शासनकाल)
2. वैशाली-वैशाली (स्थान)
3. सब-सबाकामी (अध्यक्ष)

  दूसरी बौद्ध सगीति का आयोजन वैशाली में किया गया था। इस संगीति का आयोजन 'प्रथम बौद्ध संगीति' के एक शताब्दी बाद किया गया।

एक शताब्दी बाद बुद्धोपदिष्ट कुछ विनय-नियमों के सम्बन्ध में भिक्षुओं में विवाद उत्पन्न हो गया।
इस विवाद के परिणामस्वरूप ही वैशाली में यह बौद्ध संगीति आयोजित हुई।
इस संगीति में विनय-नियमों को और भी कठोर बनाया गया।
जो बुद्धोपदिष्ट शिक्षाएँ अलिखित रूप में प्रचलित थीं, उनमें संशोधन कर दिया गया।

तृतीय बौद्ध संगीति (255 ई.पू.)
आपके मत = आ+पके+म+त
1. आ-अशोक (शासनकाल)
2. पके-पाटलिपुत्र (स्थान)
3. म+त-मोग्गलीपुत्त तिस्स (अध्यक्ष)

तीसरी बौद्ध संगीति का आयोजन 249 ई.पू. में सम्राट अशोक के शासनकाल में पाटलीपुत्र में किया गया था। इस बौद्ध संगीति की अध्यक्षता तिस्स ने की थी। इसी संगीति में 'अभिधम्मपिटक' की रचना हुई और बौद्ध भिक्षुओं को विभिन्न देशों में भेजा गया। इनमें अशोक के पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा गया था।

बौद्ध अनुश्रुतियों के अनुसार तथागत बुद्ध के निर्वाण के 236 वर्ष बाद इस संगीति का आयोजन हुआ।
सम्राट अशोक के संरक्षण में तीसरी संगीति 249 ई.पू. में पाटलीपुत्र में हुई थी।
इसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ ‘कथावत्थु’ के रचयिता तिस्स मोग्गलीपुत्र ने की थी।
विश्वास किया जाता है कि इस संगीति में 'त्रिपिटक' को अन्तिम रूप प्रदान किया गया।
यदि इसे सही मान लिया जाए कि अशोक ने अपना सारनाथ वाला स्तम्भ लेख इस संगीति के बाद उत्कीर्ण कराया था, तब यह मानना उचित होगा, कि इस संगीति के निर्णयों को इतने अधिक बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों ने स्वीकार नहीं किया कि अशोक को धमकी देनी पड़ी कि संघ में फूट डालने वालों को कड़ा दण्ड दिया जायेगा।
इस संगीति के बाद भी भरपूर प्रयास किए गए कि सभी भिक्षुओं को एक ही तरह के बौद्ध संघ के अंतर्गत रखा जाये, किंतु देश और काल के अनुसार इनमें बदलाव आता रहा।इस तरह ये तीसरी संगीति अशोक के शासन मे हुयी।

चतुर्थ बौद्ध संगीति (ई. की प्रथम शताब्दी)
कनकवन में अब = कन+क+वन+में+अ+ब
1. कन-कनिष्क (शासनकाल)
2. क+वन-कुण्डलवन (स्थान)
3. अ+ब-अश्वघोस/बसुमित्र/वसुमित्र (अध्यक्ष)
अंतिम बौद्ध संगीति कुषाण सम्राट कनिष्क के शासनकाल (लगभग 120-144 ई.) में हुई। यह संगीति कश्मीर के 'कुण्डल वन' में आयोजित की गई थी। इस संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र एवं उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। अश्वघोष कनिष्क का राजकवि था।

 इसी संगीति में बौद्ध धर्म दो शाखाओं- हीनयान और महायान में विभाजित हो गया। हुएनसांग के मतानुसार सम्राट कनिष्क की संरक्षता तथा आदेशानुसार इस संगीति में 500 बौद्ध विद्वानों ने भाग लिया और त्रिपिटक का पुन: संकलन व संस्करण हुआ। इसके समय से बौद्ध ग्रंथों के लिए संस्कृत भाषा का प्रयोग हुआ और महायान बौद्ध संप्रदाय का भी प्रादुर्भाव हुआ। इस संगीति में नागार्जुन भी शामिल हुए थे। इसी संगीति में तीनों पिटकों पर टीकायें लिखी गईं, जिनको 'महाविभाषा' नाम की पुस्तक में संकलित किया गया। इस पुस्तक को बौद्ध धर्म का 'विश्वकोष' भी कहा जाता है।इस तरह अब तक बौद्ध धर्म की चार संगीतियां हुयी

Monday, 25 January 2016

भारत विश्व गुरु कैसे बन सकता है.?

जय सम्राट अशोक नमो बुद्धाय

भारत विश्व गुरु तब तक नहीं बन सकता जब तक कि हम अपने पूर्वजों की नीतियों पर नहीं चलेंगे। महान सम्राट चंद्र गुप्त मौर्य व सम्राट अशोक की कार्यशैली सर्वश्रेष्ठ थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तमाम शासकों के जीवनकाल के अध्ययन में भी यह साबित हो चुका है कि अशोक महान की शासन शैली सबसे अच्छी थी।
लिहाजा विश्व के कई देशों ने सम्राट अशोक की शासन शैली को अपनाया। सम्राट अशोक ही ऐसे शासक थे, जिन्होंने सिकंदर जैसे लड़ाके को देश के बाहर भगाया। इस महान शासक और बुद्ध को आज भुलाया जा रहा है। बुद्ध को पूरा विश्व गुरु मानता है। उन्हें भारत में ही पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जाता। जबकि बुद्ध के विचार पूरी तरह विज्ञान पर आधारित हैं। लोग जब तक धम्म के मार्ग पर नहीं चलेंगे और सम्राट अशोक की शासन प्रणाली को लागू नहीं किया जाएगा। तब तक भारत आगे नहीं बढ़ सकता है।