Wednesday, 17 June 2015

जनश्रुतियों के आधार पर अशोक का काल

★★जनश्रुतियों के आधार पर अशोक का कालक्रम★★

चक्रवर्ती सम्राट अशोक भारतीय इतिहास का एक ऐसा चरित्र है, जिसकी तुलना विश्व में किसी भी सम्राट से नहीं की जा सकती. एक विजेता, दार्शनिक एवं प्रजापालक शासक के रूप में उसका नाम अमर रहेगा. जो त्याग एवं कार्य उन्होंने किये वैसा अन्य कोई नहीं कर सका. चक्रवर्ती सम्राट अशोका एक आदर्श सम्राट थे. इतिहास में अगर हम देखे तो उनके जैसा निडर सम्राट ना कभी हुआ ना ही कभी होंगा. उनके रहते मौर्य साम्राज्य पर कभी कोई विपत्ति नहीं आई.

Full Name – अशोक बिंदुसार मौर्य.
Birth – ईसा पूर्व 294.
Birth Place – पाटलीपुत्र
Father – राजा बिंदुसार
Mother: सुभद्रांगी /रानी धर्मा

तिथि विवरण
  • ईसा पूर्व 304 अशोक का जन्म (अशोक के सबसे बड़े पुत्र की जन्मतिथि के आधार पर अनुमान कर)
  • ईसा पूर्व 286 अशोक के पिता बिंदुसार ने (18 वर्ष की उम्र में) अशोक को उज्जैन का वाइसराय बनाकर भेजा।
  • ईसा पूर्व 286 वेदिसा (बेसनगर, भिलसा) की देवी से अशोक का विवाह।
  • ईसा पूर्व 284 अशोक के ज्येष्ठ पुत्र महेंद्र का जन्म।
  • ईसा पूर्व 282 अशोक की सबसे बड़ी पुत्री संघमित्रा का जन्म।
  • ईसा पूर्व 274 उत्तराधिकार के लिए युद्ध।     युवराज सुमन की मृत्यु।                                              अशोक का सिंहासन पर अधिकार।      सुमन की मृत्यु के बाद उसके बेटे निग्रोध का जन्म।
  • ईसा पूर्व 270 अशोक का राज्यभिषेक
  • ईसा पूर्व 270-266 अशोक का छोटा भाई तिस्स उपराज बना।
  • ईसा पूर्व 268 संघमित्रा का अग्निब्रह्मा से विवाह।
  • ईसा पूर्व 267 संघमित्रा के पुत्र सुमन का जन्म ॥
  • ईसा पूर्व 266 निग्रोध द्वारा अशोक का बौद्ध धर्म में परिवर्तन। उस समय निग्रोध केवल सात वर्ष का था। यह तिथि बड़े महत्व की है क्योंकि
(क) इससे पता चलता है कि महावंश में उल्लिखित तिथियाँ उसके अभिषेक से गिनी गई हैं न कि उसके राज्य पाने की तिथि से॥
(ख) इससे एक अतिरिक्त प्रमाण इस बात का मिलता है कि अशोक के राज्य पाने की तिथि सही है, और इससे लघु चट्टान लेख 1 में अशोक के बौद्ध उपासक बनने की जो तिथि दी है उसकी पुष्टि होती है।

अशोक ने अपने छोटे भाई और युवराज तिस्स को बौद्ध बनाया।
तिस्स को आचार्य महाधर्मरक्षित ने दीक्षा दी।
अशोक के भागिनेय व जामाता अग्निब्रह्मा को बौद्ध धर्म की दीक्षा।
महेंद्र की तिस्स के स्थान पर उपराज पद पर (उसकी 18 वर्ष की उम्र में) नियुक्ति।


  • ईसा पूर्व 266-263 अशोक ने विहार व चैत्य बनवाये।
  • ईसा पूर्व 264 थेर महादेव ने महेंद्र को भिक्षु बनाया। मज्झंतिक ने कंमवाचं पूरा किया। मोग्गलिपुत्त तिस्स ने महेंद्र को पुन: दीक्षा दी और वह उसका उपाध्याय बना।  आचार्या आयुपाला और उपाध्याया धर्मपाला ने संघमित्रा को भिक्षुणी बनाया।  अशोक पच्चयदायक से उन्नति कर सासनदायक बना। 
  • ईसा पूर्व 263- कुणाल का अशोक की पत्नी पद्मावती के गर्भ से जन्म। 
  • ईसा पूर्व 262 थेर तिस्स व सुमित्त की मृत्यु। संघ में अवांछित भिक्षु-भिक्षुणियों की वृद्धि जिससे उदासीन होकर मोग्गलिपुत्त तिस्स संघ से विरक्त रहने लगा 
  • ईसा पूर्व 262-254 महेंद्र संघ का अध्यक्ष रहा। अशोक ने मोग्गलिपुत्त तिस्स को बुला भेजा। तिस्स ने उसे संबुद्ध के सिद्धांत का अध्यापन किया। तिस्स को अध्यक्षता में संघ की बैठक। अशोक ने अपधर्मी भिक्षुओं को संघ से निकाल बाहर किया।
  • ईसा पूर्व 260-250 अशोक द्वारा बौद्ध तीर्थों की यात्रा का संभावित काल जिसके अंत में उसने दिव्यावदान 27 के अनुसार धर्मराजिक को पूरा कराया। दिव्यावदान के अनुसार उपगुप्त अशोक को सबसे पहले लुंबिनी वन ले गया फिर उसने उसे बोधिमूल की यात्रा करायी। चट्टान लेख 8 में ई. पू. 260 में अशोक के संबोधि के दर्शन का उल्लेख हैं। रुम्मिनदीई स्तंभ लेख ई. पू. 250 में उसकी लुंबिनी यात्रा का उल्लेख करता है।
  • ईसा पूर्व 253 तृतीय बौद्ध संगीति जिसके अध्यक्ष मोग्गलिपुत्त तुस्स थे। विभिन्न देशों में दूतों का भेजना।
  • ईसा पूर्व 252 लंका जाते हुए महेंद्र ने विदिशा में अपनी माता देवी के दर्शन किये। उसे भिक्षु बने 12 वर्ष बीत चुके थे।
  • ईसा पूर्व 240 अशोक की प्रियपत्नी और संबुद्ध की द्दढ़ विश्वासिनी असंघिमित्रा की मृत्यु।
  • ईसा पूर्व 236 तिष्यरक्षिता अग्रमहिषी बनी।
  • ईसा पूर्व 235 तक्षशिला में विद्रोह। कुणाल वहाँ वाइसराय बनाकर भेजा गया।
  • ईसा पूर्व 233 तिष्यरक्षिता का बोधि-वृक्ष से द्वेष, जिसे उसने नष्ट करने की चेष्टा की।
  • ईसा पूर्व 232 शासन के अड़तीसवें वर्ष में अशोक की मृत्यु।
★★★★★★★★★
नमो बुद्धाय.
जय अशोक महान
जय भारत
★★★★★★★★★

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