मै एक अछूत कन्या हूँ।
मेरे कुएं से पानी निकालने पर जल दूषित हो जायेगा।
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बुद्ध ने उसे लेने से इंकार कर दिया।
बुद्ध ने एक बार फिर बालिका से अपनी बात कही। इस बार बालिका नेसाहस बटोरकर कुएं से पानी निकल कर स्वयं भी पिया और गौतम बुद्ध को भी पिलाया। पानी पीने के बाद बुद्ध ने बालिकासे भय का कारण पूछा। कन्या ने बताया मुझे संयोग से राजा के दरबार में गाने का अवसर मिला था। राजा ने मेरा गीत सुन मुझे अपने गले की माला पुरस्कार में दी। लेकिन उन्हें किसी ने बताया कि मै अछूत कन्या हूँ। यह जानते ही उन्होंने अपने सिपाहियों को मुझे कैद खाने में डाल देने का आदेश दिया। मै किसी तरह उनसे बचकर यहाँ तक पहुंची थी।
इस पर बुद्ध ने कहा, सुनो राजन!
यह कन्या अछूत नहीं है, आप अछूत हैं। जिस बालिका के मधुर कंठ से निकले गीत का आपने आनंद उठाया, उसे पुरस्कार दिया, वह अछूत हो ही नहीं सकती।
गौतम बुद्ध के सामने वह राजा लज्जित ही हो सकते थे। देने
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